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Monday, October 28, 2013

गुज़रती है मेरी रात करवट बदल बदल के

पल पल सुलग रहा है अब तो बदन मेरा
अंगारे  इश्क़ ने ने झुलसा दिया चमन मेरा
हैरान हैं मुझे देख हर एक फ़र्द अगल बगल के
गुज़रती है मेरी रात करवट बदल बदल  के 

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